महाकुंभ 2025 : प्रयागराज में महाकुंभ का आगाज, जानिए कैसे हुई कुंभ की शुरुआत


महाकुंभ 2025 का पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ आगाज हो गया है। महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज उतरप्रदेश में हो रहा है। प्रयागराज उन चार शहरों में से एक जहाँ 12 वर्ष बाद कुम्भ का आयोजन होता है। महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान मकर सक्रांति को हुआ।

कैसे हुई कुम्भ मेले की शुरुआत 

कुंभ को लेकर एक पौराणिक कथा है कि कुंभ की शुरुआत देवता - दानवों के संघर्ष के साथ हुई है। कहा जाता है कि देवताओं के राजा इन्द्र ने अहंकार में ऋषि दुर्वासा का अपमान कर दिया था। इस तरह अपमान के कारण ऋषि दुर्वासा ने इन्द्र को श्रीहीन होने का श्राप दे दिया था। ऋषि दुर्वासा के श्राप के कारण देवता कमजोर हो गए और परिणाम स्वरूप देवताओं को राक्षसों से पराजय का सामना करना पड़ा। 

पराजय से दुखी होकर देवता भगवान विष्णु के पास मदद मांगने पहुँचे। भगवान विष्णु ने कहा कि देवताओं को श्राप मुक्ति के लिए समुद्र मंथन करना होगा। समुद्र मंथन से कई दिव्य रत्न के साथ अमृत निकलेगा। जिसे पीकर देवता अमर हो जाएंगे। 

भगवान विष्णु के कहने पर देवराज इन्द्र ने दैत्यराज बलि को समुद्र मंथन के लिए राजी किया। अमृत और दिव्य रत्नों कि प्राप्ति के लालच में राक्षस भी राजी हो गए। 

जब समुद्र मंथन हुआ तो विष, कामधेनु गाय, एरावत हाथी और अमृत सहित 14 रत्न प्राप्त हुए। जैसे ही आखिर में अमृत कलश निकला देवराज इन्द्र के बेटे जयंत उसे लेकर स्वर्ग की ओर दौड़े। राक्षसों ने जयंत का पीछा किया। इस दौरान देवताओं और राक्षसों के बीच 12 दिन तक अमृत कलश के लिए युद्ध चला। 

कहा जाता है जयंत जब अमृत कुंभ लेकर देवलोक की ओर जा रहे थे तो इसी दौरान अमृत कुंभ से अमृत की आठ बूंदे देवलोक में और चार बूंदे धरती पर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरी। तभी से इन चारों स्थानों पर अमृत कुंभ जागृत करने की परंपरा शुरू हुई है।