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23 अगस्त मंगलवार शाम को अदानी ग्रुप ने ऐलान किया कि वो NDTV में 29 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने जा रहे है. अदानी ग्रुप के इस ऐलान के बाद ट्विटर पर NDTV ट्रेंड करने लगा. अदानी ग्रुप ने ये भी कहा है कि ग्रुप NDTV की अतिरिक्त 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए 493 करोड़ रूपये का ओपन ऑफर भी लेकर आएगा.
अदानी ग्रुप द्वारा एनडीटीवी में स्टेक खरीदने की ख़बर हैरान कर देने वाली थी. दरअसल एनडीटीवी के मैंनेजमेंट को इस बात की कोई खबर ही नही थी कि अदानी ग्रुप एनडीटीवी में निवेश करने जा रहा है. अदानी ग्रुप के इस ऐलान के करीब दो घंटे बाद ही एनडीटीवी की सीईओ सुपर्णा ने कहा कि हमें अदानी ग्रुप के इस अधिग्रहण के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है तथा यह अधिग्रहण एनडीटीवी के फाउंडर डॉ. प्रनोय रॉय और राधिका रॉय की सहमति के बगैर हुआ है.
करीब एक साल पहले सितम्बर 2021 में भी मीडिया में इस तरह की ख़बरें आई थी कि अदानी ग्रुप दिल्ली के एक बड़े मीडिया हाऊस का अधिग्रहण करने जा रहा है. इस खबर के आने के बाद ये कयास लगाया जाने लगा कि अदानी ग्रुप एनडीटीवी का अधिग्रहण करने वाला है और यह भी कहा गया कि यह डील लन्दन साइन में होगी. अदानी द्वारा एनडीटीवी को खरीदे जाने की इस खबर के चलते एनडीटीवी के शेयर्स में जोरदार तेजी देखने को मिली. हालाँकि बाद में एनडीटीवी ने मीडिया चल रही इस तरह की खबरों को अफवाह बताते हुए अदानी द्वारा एनडीटीवी के खरीदे जाने की ख़बर का खंडन किया और स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि एनडीटीवी के फाउंडर प्रनोय रॉय और राधिका रॉय की इस बारें में किसी साथ कोई डील और बातचीत नहीं हुई है.
एनडीटीवी के स्पष्टीकरण के बाद इस खबर पर विराम तब लग गया था जब कुछ दिनों बाद अदानी ग्रुप ने दी क्विंट डिजिटल मीडिया में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया. साथ ही स्वयं अदानी ग्रुप ने भी उनके द्वारा एनडीटीवी को खरीदे जाने की अटकलों को खारिज किया लेकिन उस वक्त कोई नहीं जानता था कि आज से ठीक एक साल बाद क्या होने वाला है.
दरअसल मीडिया आज अपने सबसे ख़राब दौर से गुजर रहा है. वही एनडीटीवी सत्ता से हाथ नहीं मिलाकर हमेशा मुखर होकर सरकार की आलोचना करता रहा है. इसलिए एनडीटीवी की छवि हमेशा सत्ता विरोधी रही है. पूर्व में सरकार ने एनडीटीवी पर एक दिन का बैन लगा दिया था. सतारूढ़ भाजपा के नेता ट्विटर पर एनडीटीवी एंव पत्रकार रवीश कुमार को बॉयकाट करने का अभियान भी चलाते रहे है. वही दूसरी ओर अदानी ग्रुप के मालिक गौतम अदानी पीएम मोदी के बेहद करीबी माने जाते है.
दरअसल साल 2009 में एनडीटीवी के फाउंडर डॉ. प्रनोय रॉय और राधिका रॉय की एक कम्पनी RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड ने विश्व प्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड ( VCPL ) से करीब 400 करोड़ का लोन लिया था जो कि इंटरेस्ट फ्री लोन था. RRPR ने इस लोन के बदले VCPL को वारंट जारी किये थे जो कि RRPR द्वारा कर्ज भुगतान नहीं किए जाने की स्तिथि में VCPL को यह अधिकार देते कि वो इस वारंट को RRPR की 99.99 प्रतिशत इक्विटी में बदल सकते है. एक तरह से RRPR की होल्डिंग VCPL के पास गिरवी पर थी और इसी RRPR के पास एनडीटीवी की करीब 29.18 फीसदी हिस्सेदारी है.
23 अगस्त की मंगलवार शाम को अदानी ग्रुप ने ये ऐलान किया कि उन्होंने VCPL का 114 करोड़ में अधिग्रहण कर लिया है और RRPR द्वारा VCPL को जारी किये गए वारंट को लोन अग्रीमेंट की शर्तो के अनुसार VCPL ने 99.99 फीसदी इक्विटी में भुनाते हुए RRPR होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड का भी अधिग्रहण कर लिया है. इस तरह अदानी ग्रुप ने इन डायरेक्ट रूप से एनडीटीवी में करीब 29 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली.
यदि अदानी ग्रुप ओपन ऑफर में एनडीटीवी की बाकि 26 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने में भी सफल होता है तो अदानी ग्रुप की एनडीटीवी में कुल 55 प्रतिशत हिस्सेदारी हो सकती है. अदानी ग्रुप के 55 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने के बाद एनडीटीवी के बोर्ड का नियंत्रण अदानी ग्रुप के हाथ में आ जायेगा. हालाँकि अदानी ग्रुप को इस प्रक्रिया में क़ानूनी और रेगुलेटरी बाधाओं का भी सामना करना पड़ सकता है.