वोट फॉर नोट के मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फ़ैसला


वोट फॉर नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फ़ैसला. अब यदि सांसदों या विधायकों ने रिश्वत लेकर सदन में सवाल पूछा या वोट दिया तो उन्हें संसदीय विशेषाधिकार के तहत मुकदमें में छूट नहीं मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों सीजेआई डीवाई चंद्रचूड, एमएम सुन्दरेश, पीएस नरसिम्हा, जेबी पारदीवाला, संजय कुमार और मनोज मिश्रा की संवैधानिक पीठ ने 25 साल पुराने फ़ैसले को पलट दिया.

कोर्ट ने कहा कि हम 1998 में जस्टिस पीवी नरसिम्हा के दिए गए उस फ़ैसले से सहमत नहीं है, जिसमें सांसदों और विधायकों को सदन में किसी सवाल या वोट देने के लिए रिश्वत लेने पर मुकदमें में विशेषाधिकार के तहत छूट दी गई थी.

कोर्ट ने कहा कि सदन के किसी सदस्य द्वारा किया गया भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी को नष्ट कर देती है. कोर्ट ने कहा रिश्वत लेकर सवाल पूछना और वोट देना संविधान के आर्टिकल 105 और 194 में रिश्वत से छूट का प्रावधान नहीं है. रिश्वत लेना आपराधिक श्रेणी में आता है और हमारा मानना है कि संसदीय विशेषाधिकारों के तहत रिश्वतखोरी को संरक्षण हासिल नहीं है. ऐसा करना संविधान के आर्टिकल 105 और 194 का उल्लंघन है.