बेटे के लिए सिर दर्द बनी पिता की प्रेम कहानी बनी


अपर्णा यादव ने मुलायम सिंह यादव से आशीर्वाद लेते हुए यह तस्वीर ट्वीट की और कैप्शन में लिखा है भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने के पश्चात लखनऊ आने पर पिताजी / नेताजी से आशीर्वाद लिया.

यूपी में चुनावी बिगुल बज चूका है. मुलायम सिंह यादव यूपी के चार बार मुख्यमन्त्री रहे सूबे की राजनीति का अहम चेहरा है लेकिन पार्टी की कमान अब मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव के हाथ में है. दो दिन पहले ही तस्वीर में मुलायम सिंह यादव से आशीर्वाद लेती दिख रही उनकी छोटी बहु अपर्णा यादव ने समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है.

अपर्णा यादव के भाजपा ज्वाइन करने के बाद एक बार फिर मुलायम सिंह यादव की प्रेम कहानी चर्चा का विषय बन गई. दरअसल मुलायम सिंह यादव ने दो शादी की और अपर्णा की शादी मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक से हुई है. प्रतीक मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे है.

बता दे कि साधना गुप्ता की मुलायम सिंह के साथ दूसरी शादी है. साधना गुप्ता की पहली शादी चंद्रप्रकाश गुप्ता के साथ हुई थी. मुलायम सिंह के छोटे बेटे कहे जाने वाले प्रतीक साधना गुप्ता और चंद्रप्रकाश गुप्ता की संतान है. जब मुलायम सिंह यादव ने साधना गुप्ता से शादी कर ली तो प्रतीक को बेटे के रूप में स्वीकार कर अपना नाम दिया.

कहानी की शुरुआत 1982 में हुई तब समाजवादी पार्टी नहीं राष्ट्रीय लोकदल था और मुलायम सिंह यादव का सितारा बुलंदी पर था. मुलायम सिंह यादव राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष थे और साधना गुप्ता उस वक्त पार्टी की एक आम कार्यकर्ता थी.

कहते है मुलायम सिंह यादव पहली ही मुलाकात में अपनी पार्टी की इस साधारण कार्यकर्ता को दिल दे बैठे थे. उस वक्त मुलायम सिंह यादव की इस प्रेम कहानी के बारे में केवल अमरसिंह जानते थे. हालाँकि परिवार के दबाव में मुलायम सिंह यादव ने कभी इस रिश्ते को स्वीकारा नहीं. लेकिन मुलायम सिंह की पहली पत्नी मालती देवी को मुलायम सिंह के इस रिश्ते के बारे में खबर थी.

मुलायम सिंह यादव ने साधना गुप्ता से अपने रिश्ते को सबसे छिपाए रखा वहीं दूसरी ओर प्रतीक के स्कूल में पिता की जगह एमएस यादव और स्थायी पत्ते में मुलायम सिंह यादव के घर का पत्ता लिखा हुआ था. 2003 में मुलायम सिंह की पहली पत्नी मालती देवी का निधन हो गया.

मालती देवी के जाने के बाद मुलायम सिंह के सामने साधना गुप्ता को पत्नी के रूप में स्वीकारने का दबाव बढ़ गया. अमर सिंह ने मंच ने नेताजी को साधना गुप्ता को पत्नी के रूप में स्वीकारने का अनुरोध किया हालाँकि अखिलेश यादव ऐसा नहीं चाहते थे. अखिलेश और साधना गुप्ता के संबंध कभी मधुर नहीं रहे है.

कहते है 2007 में आय से अधिक सम्पति के मामले में सीबीआई जाँच से बचने हेतु मुलायम सिंह यादव को साधना गुप्ता को सार्वजनिक रूप से पत्नी के रूप में स्वीकार करना पड़ा. 2012 में समाजवादी पार्टी यूपी की सता में लौटी और मुख्यमंत्री बने मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव.

2017 में अखिलेश जब मुख्यमंत्री थे पार्टी में परिवार को लेकर कलह शुरू हो गई और अखिलेश ने मुलायम सिंह यादव को हटाकर खुद को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया था. इसके साथ ही शिवपाल यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से और अमर सिंह को पार्टी से निष्काषित कर दिया. 2017 में समाजवादी पार्टी यूपी की सता से बाहर हो गई और भाजपा की सरकार बनी.

एक बार फिर परिवार अखिलेश यादव के सामने मुसीबत बनकर उभरा है. इस बार अपने पिता मुलायम सिंह यादव की प्रेम कहानी अखिलेश यादव के लिए मुसीबत है. लखनऊ कैंट से टिकट मांग रही अखिलेश के छोटे भाई प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव भाजपा में शामिल हो गई है.