नीतीश फिर लौटे सत्ता के केंद्र में : NDA ने चुना नेता, आज लेंगे 10वीं बार शपथ
बिहार की राजनीति में एक बार फिर वही परिचित सीन लौट आया है—नीतीश कुमार केंद्र में हैं, एनडीए एकजुट है और पटना में सत्ता परिवर्तन का उत्साह साफ दिखाई दे रहा है। बुधवार को एनडीए के सभी विधायकों ने नीतीश कुमार को अपना नेता चुन लिया, और इसके साथ ही तय हो गया कि वे एक बार फिर, 10वीं बार, मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने जा रहे हैं।
गांधी मैदान में ऐतिहासिक माहौल बनने को तैयार
गुरुवार का दिन बिहार की राजनीति के लिए खास है। पटना का गांधी मैदान पूरी तरह शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों में डूबा हुआ है। मंच, सुरक्षा, टेंट, लोगों की भीड़—सब कुछ वैसा ही जैसे किसी बड़े त्योहार की तैयारी हो। बुधवार रात ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पटना पहुंच गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज विशेष विमान से पटना आएंगे। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कई राष्ट्रीय नेताओं के आने से यह समारोह और भी भव्य होने जा रहा है।
202 सीटों का मजबूत जनादेश : NDA का दबदबा कायम
इस बार के विधानसभा चुनाव में जनता ने साफ कर दिया कि वह स्थिर सरकार चाहती है। एनडीए को कुल 202 सीटों का शानदार बहुमत मिला।
एक नजर सीटों पर :
भाजपा – 89
जेडीयू – 85
एलजेपी (आर) – 19
हम – 5
राष्ट्रीय लोक मोर्चा – 4
यह नतीजे बताते हैं कि एनडीए का चुनावी समीकरण इस बार पूरी तरह फिट बैठा। खासकर BJP और जेडीयू का साथ मिलकर चलना पूरे अभियान में दिखा भी और नतीजों में साबित भी हुआ।
शपथ से पहले राजनीतिक हलचल तेज
नीतीश को नेता चुने जाने के बाद से ही पटना में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। होटलों, पार्टी दफ्तरों और सरकारी गेस्ट हाउसों में लगातार बैठकें हो रही हैं। कैबिनेट में कौन होगा, कौन सा विभाग किसे मिलेगा, किन नए चेहरों को मौका मिलेगा—इन सवालों पर चर्चाओं का दौर जारी है। एनडीए में इस बार नए समीकरण की झलक भी दिख सकती है क्योंकि सभी सहयोगी दलों ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
नीतीश कुमार : 10वीं बार शपथ—एक रिकॉर्ड, एक संदेश
यह शपथ समारोह सिर्फ सत्ता का बदलाव नहीं, बल्कि नीतीश की राजनीतिक यात्रा का एक मील का पत्थर भी है। उनका 10वीं बार मुख्यमंत्री बनना अपने आप में एक रिकॉर्ड है—और यह बताता भी है कि बिहार की राजनीति में नीतीश अभी भी एक मजबूत केंद्र बने हुए हैं। उनके सामने चुनौतियाँ बड़ी हैं—रोजगार, शिक्षा, कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे पर जनता की उम्मीदें पहले से ज्यादा हैं।
नई सरकार के गठन के साथ ही अब लोगों की नजर इस बात पर होगी कि नीतीश और एनडीए इस विशाल जनादेश को विकास में कैसे बदलते हैं। बिहार एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत करने जा रहा है. और आज गांधी मैदान उसी शुरुआत का गवाह बनेगा।
